बसंत पंचमी, वसंत ऋतु का आगमन और देवी सरस्वती के जन्मदिन का पर्व, भारत में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यह दिन शिक्षा, कला, और ज्ञान का प्रतीक है। इस वर्ष, बसंत पंचमी का त्योहार देश के विभिन्न हिस्सों में भव्यता से मनाया गया, जिसके कई उदाहरण नीचे दिए गए हैं।
प्रयागराज कुंभ और बसंत पंचमी
प्रयागराज में 2025 के महाकुंभ में बसंत पंचमी के अवसर पर भारी भीड़ उमड़ी। हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया, इस पावन दिन को धार्मिक आस्था और उत्सव के साथ मनाया।
स्कूलों में उत्सव का आयोजन
देश के विभिन्न स्कूलों ने भी बसंत पंचमी को बड़े ही धूमधाम से मनाया। डौंडीलोहारा के शासकीय हाई स्कूल बोरसी में वार्षिकोत्सव का आयोजन हुआ जहाँ बच्चों ने सरस्वती वंदना, नृत्य, गीत, नाटक और कविता पाठ जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इसी तरह, बेरला के शासकीय प्राथमिक शाला धनगांव में कुंडीय गायत्री महायज्ञ और 18 बच्चों का विद्यारंभ संस्कार किया गया। लावातरा के शासकीय प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक शाला में भी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना के साथ-साथ विभिन्न प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं, जिसमें बच्चों ने मोबाइल के दुष्परिणाम, पर्यावरण संरक्षण आदि महत्वपूर्ण विषयों पर चित्रकला और रंगोली बनाई।
शिक्षा और ज्ञान का संदेश
यज्ञाचार्य विशंभर सिंह बगमरिया ने बसंत पंचमी को शिक्षा, साक्षरता, विद्या और विनय का पर्व बताया। उन्होंने कहा कि यह दिन कला, विविध गुण, विद्या, और साधना को बढ़ावा देने का दिन है।
निष्कर्ष
बसंत पंचमी का त्योहार केवल एक धार्मिक उत्सव ही नहीं, बल्कि ज्ञान, कला, और संस्कृति का आदर करने और उसे बढ़ावा देने का अवसर भी है। आइए, हम सभी मिलकर इस पर्व की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारें और अपनी प्रतिभा को निखारने का प्रयास करें।